शुक्रवार, नवंबर 04, 2011

मुहब्बत जिंदाबाद...

साजिशें होती रहेंगी साजिशों का क्या
मुहब्बत थी मुहब्बत है रहेगी यूं ही जिंदाबाद...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें