रविवार, अगस्त 14, 2011

15 अगस्त.... इसी दिन हुए थे हम आजाद.....

15 अगस्त....
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
अपनी अक्ल लगाने के लिए
कुछ कर दिखाने के लिए....
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
अपनी जुगाड़ तकनीक का हुनर से
लाकर दूसरे का प्रोडक्ट उसपर
‘मेड इन इन्डिया’ लगाने के लिए...
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
20 किलो के बच्चे पर
20 किलो किताबें लादकर
‘ऑल इन वन’ बनाने के लिए,
स्कूल में खाली चैप्टर के नाम
बाकी ट्युशन - कोचिंग में पढ़ाने के लिए,
और ‘एक्जाम फिक्सिंग’ का फॉर्मूला निकाल
100 नंबर में 100 नंबर लाने के लिए.....
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
जोड़-तोड़, कुछ दे-ले कर
बाबू बन जाने के लिए,
और जनता को चक्कर लगवाकर
लाखों - करोड़ों बनाने के लिए...
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
अपनी मैनेजमेंट और
कम्युनिकेशन स्किल दिखाने के लिए,
मोबाइल - इंटरनेट के जरिए
एक नहीं 4 - 4 पटाने के लिए,
सबको शादी का देकर मां बनाने के लिए
बाद में मामला बिगड़ता देख
रफूचक्कर हो जाने के लिए....
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
चुनाव के समय अपने धर्म और
अपनी जाति का झंडा फहराने के लिए,
विद्वत्ता नहीं बल्कि धन - बल के हिसाब से
अपना नेता जितवाने के लिए,
और बाद में रिश्वत देकर
अपना काम कराने के लिए....
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
ईश्वर के सामने रटे - रटाये शलोक
और मंत्र हिनहिनाने के लिए,
भारी प्रसाद चढ़ाने का वादा कर
अपना काम बनाने के लिए...
इसी दिन हुए थे हम आजाद,
सभी नियम और कानूनों को
धता बताने के लिए,
भ्रष्टाचार को उन्नति का मार्ग समझ
इसे जीवन में अपनाने के लिए,
और सिर से पैर तक तिरंगा लगाकर
अपने को देश भक्त बताने के लिए,
15 अगस्त और 26 जनवरी को
छुट्टी का दिन समझ कर
पिकनिक मनाने के लिए....

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